Monday, December 12, 2011

क्या है शनि की साढ़ेसाती या बृहतकल्याणी/ ढैया या लघुकल्याणी ? / Shani Ki Sadhesati and Dhaiya


क्या  है शनि की साढ़ेसाती या बृहतकल्याणी/ ढैया या लघुकल्याणी ?
हमारे सौरमंडल में सभी ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते हैं अत: जब शनि ग्रह भ्रमण करता हुआ आपकी जन्म कुंडली में बारहवें भाव, लग्न और दूसरे भाव से गोचर करेगा या भ्रमण करेगा तो शनि की इस स्थिति को ज्योतिष में साढ़ेसाती कहा जाता है इन तीन राशियों में शनि करीब – करीब अढ़ाई वर्ष रहता है और तीन राशियों में साढे सात साल यही साढे सात साल साढ़ेसाती में नाम से जाने जाते हैं शनि की साढ़े साती की शुरूआत को लेकर जहां कई तरह की विचारधारायें मिलती हैं वहीं इसके प्रभाव को लेकर भी हमारे मन में भ्रम और कपोल कल्पितविचारों का ताना बाना बुना रहता है। लोग यह सोच कर ही घबरा जाते हैं कि शनि की साढ़े साती आज शुरू हो गयी तो आज से भी कष्ट और परेशानियों कीशुरूआत होने वाली है।  जो लोग ऐसा सोचते हैं वेअकारण ही भयभीत होते हैंवास्तव में अलग अलग राशियों के व्यक्तियों पर शनि का प्रभाव अलग अलग होता है । कुछ व्यक्तियों को साढ़े साती शुरू होनेके कुछ समय पहले ही इसके संकेत मिल जाते हैं और साढ़े साती समाप्त होने से पूर्व ही कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और कुछ लोगों को देर से शनि का प्रभाव देखने को मिलता है और साढ़े साती समाप्त होन के कुछ समय बाद तक इसके प्रभाव से दो चार होना पड़ता है अत: आपको इस विषय में घबराने कीआवश्यकता नहीं है। साढ़े साती के संदर्भ में व्यक्ति के जन्म चन्द्र से द्वादशस्थान का विशेष महत्व है। इस स्थान का महत्व अधिक होने का कारण यह है कि द्वादश स्थान चन्द्र राशि  से काफी निकट होता है। ज्योतिष परम्परा में द्वादश स्थान से काल पुरूष के पैरों का विश्लेषण किया जाता है तो दूसरी ओरबुद्धि पर भी इसका प्रभाव होता है। शनि के प्रभाव से बुद्धि प्रभावित होतीहै और हम अपनी सोच व बुद्धि पर नियंत्रण नहीं रख पाते हें जिसके कारण ग़लतकदम उठा लेते हैं और हमें कष्ट व परेशानी से गुजरना होता है। हमें यादरखना चाहिए कि साढ़े साती के दौरान मन और बुद्धि के सभी दरवाजे़ वखिड़कियां खोल देनी चाहिए और शांत चित्त होकर कोई भी काम और निर्णय लेनाचाहिए।
 लक्षण और उपाय -जिस प्रकार हर पीला दिखने वाला धातु सोना नहीं होता उस प्रकार जीवन में आने वाले सभी कष्ट का कारण शनि नहीं होता। आपके जीवन में सफलता और खुशियों में बाधा आ रही है तो इसका कारण अन्य ग्रहों का कमज़ोर या नीच स्थिति में होना भी हो सकता है। आप अकारण ही शनिदेव को दोष न दें, शनि आपसे कुपित हैं और उनकी साढ़े साती चल रही है अथवा नहीं पहले इस तत्व की जांच करलें फिर शनि की साढ़े साती के प्रभाव में कमी लाने हेतु आवश्यक उपाय करें।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनि की साढ़े साती के समय कुछ विशेष प्रकार की घटनाएं होती हैं जिनसे संकेत मिलता है कि साढ़े साती चल रही है। शनि की साढ़े साती के समय आमतौर पर इस प्रकार की घटनाएं होती है जैसे घर कोई भाग अचानक गिर जाता है। घ्रर के अधिकांश सदस्य बीमार रहते हैं, घर में अचानक अग लग जाती है, आपको बार-बार अपमानित होना पड़ता है। घर की महिलाएं अक्सर बीमार रहती हैं, एक परेशानी से आप जैसे ही निकलते हैं दूसरी परेशानी सिर उठाए खड़ी रहती है। व्यापार एवं व्यवसाय में असफलता और नुकसान होता है। घर में मांसाहार एवं मादक पदार्थों के प्रति लोगों का रूझान काफी बढ़ जाता है। घर में आये दिन कलह होने लगता है। अकारण ही आपके ऊपर कलंक या इल्ज़ाम लगता है। आंख व कान में तकलीफ महसूस होती है एवं आपके घर से चप्पल जूते गायब होने लगते हैं।
आपके जीवन में जब उपरोक्त घटनाएं दिखने लगे तो आपको समझ लेना चाहिए कि आप साढ़े साती से पीड़ित हैं। इस स्थिति के आने पर आपको शनि देव के कोप से बचने हेतु आवश्यक उपाय करना चाहिए। ज्योतिषाचार्य साढ़े साती के प्रभाव से बचने हेतु कई उपाय बताते हैं आप अपनी सुविधा एवं क्षमता के आधार पर इन उपायों से लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आप साढ़े साती के दुष्प्रभाव से बचने क लिए जिन उपायों को आज़मा सकते हैं वे निम्न हैं:
शनिदेव भगवान शंकर के भक्त हैं, भगवान शंकर की जिनके ऊपर कृपा होती है उन्हें शनि हानि नहीं पहुंचाते अत: नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा व अराधना करनी चाहिए। पीपल में सभी देवताओं का निवास कहा गया है इस हेतु पीपल को अर्घ्य देने अर्थात जल देने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। अनुराधा नक्षत्र में जिस दिन अमावस्या हो और शनिवार का दिन हो उस दिन आप तेल, तिल सहित विधि पूर्वक पीपल वृक्ष की पूजा करें तो शनि के कोप से आपको मुक्ति मिलती है। शनिदेव की प्रसन्नता हेतु शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करना चाहिए।
शनि के कोप से बचने हेतु आप हनुमान जी की आराधाना कर सकते हैं, क्योंकि शास्त्रों में हनुमान जी को रूद्रावतार कहा गया है। आप साढ़े साते से मुक्ति हेतु शनिवार को बंदरों को केला व चना खिला सकते हैं। नाव के तले में लगी कील और काले घोड़े का नाल भी शनि की साढ़े साती के कुप्रभाव से आपको बचा सकता है अगर आप इनकी अंगूठी बनवाकर धारण करते हैं। लोहे से बने बर्तन, काला कपड़ा, सरसों का तेल, चमड़े के जूते, काला सुरमा, काले चने, काले तिल, उड़द की साबूत दाल ये तमाम चीज़ें शनि ग्रह से सम्बन्धित वस्तुएं हैं, शनिवार के दिन इन वस्तुओं का दान करने से एवं काले वस्त्र एवं काली वस्तुओं का उपयोग करने से शनि की प्रसन्नता प्राप्त होती है।
साढ़े साती के कष्टकारी प्रभाव से बचने हेतु आप चाहें तो इन उपायों से भी लाभ ले सकते हैं। शनिवार के दिन शनि देव के नाम पर आप व्रत रख सकते हैं। नारियल अथवा बादाम शनिवार के दिन जल में प्रवाहित कर सकते हैं। शनि के कोप से बचने हेतु नियमित 108 बार शनि की तात्रिक मंत्र का जाप कर सकते हैं स्वयं शनि देव इस स्तोत्र को महिमा मंडित करते हैं। महामृत्युंजय मंत्र काल का अंत करने वाला है आप शनि की दशा से बचने हेतु किसी योग्य पंडित से महामृत्युंजय मंत्र द्वारा शिव का अभिषेक कराएं तो शनि के फंदे से आप मुक्त हो जाएंगे।
अत: साढ़े साती से आपको बिल्कुल भयभीत होने की जरूरत नहीं है, आप कुशल चिकित्सक की तरह मर्ज़ को पहचान कर उसका सही ईलाज़ करें।
साढ़ेसाती शुभ भी
शनि की ढईया और साढ़े साती का नाम सुनकर बड़े बड़े पराक्रमी और धनवानों केचेहरे की रंगत उड़ जाती है। लोगों के मन में बैठे शनि देव के भय का कई ठगज्योतिषी नाज़ायज लाभ उठाते हैं। विद्वान ज्योतिषशास्त्रियों की मानें तोशनि सभी व्यक्ति के लिए कष्टकारी नहीं होते हैं। शनि की दशा के दौरान बहुतसे लोगों को अपेक्षा से बढ़कर लाभसम्मान व वैभव की प्राप्ति होती है।कुछ लोगों को शनि की इस दशा के दौरान काफी परेशानी एवं कष्ट का सामना करनाहोता है। देखा जाय तो शनि केवल कष्ट ही नहीं देते बल्कि शुभ और लाभ भीप्रदान करते हैं (। हम विषय की गहराई में जाकर देखें तो शनि का प्रभाव सभी व्यक्ति परउनकी राशिकुण्डली में वर्तमान विभिन्न तत्वों व कर्म पर निर्भर करता हैअत: शनि के प्रभाव को लेकर आपको भयग्रस्त होने की जरूरत नहीं है।आइयेहम देखे कि शनि किसी के लिए कष्टकर और किसी के लिए सुखकारी तो किसी कोमिश्रित फल देने वाला कैसे होता है। ज्योतिषशास्त्री बताते हैं यह ज्योतिषका गूढ़ विषय है जिसका उत्तर कुण्डली में ढूंढा जा सकता है। साढ़े साती केप्रभाव के लिए कुण्डली में लग्न व लग्नेश की स्थिति के साथ ही शनि औरचन्द्र की स्थिति पर भी विचार किया जाता है। शनि की दशा के समय चन्द्रमाकी स्थिति बहुत मायने रखती है। चन्द्रमा अगर उच्च राशि में होता है तो आपमें अधिक सहन शक्ति आ जाती है और आपकी कार्य क्षमता बढ़ जाती है जबकिकमज़ोर व नीच का चन्द्र आपकी सहनशीलता को कम कर देता है व आपका मन काम मेंनहीं लगता है जिससे आपकी परेशानी और बढ़ जाती है।जन्म कुण्डलीमें चन्द्रमा की स्थिति का आंकलन करने के साथ ही शनि की स्थिति का आंकलनभी जरूरी होता है। अगर आपका लग्न वृषमिथुनकन्यातुलामकर अथवा कुम्भहै तो शनि आपको नुकसान नहीं पहुंचाते हैं बल्कि आपको उनसे लाभ व सहयोगमिलता है (। उपरोक्त लग्न वालों केअलावा जो भी लग्न हैं उनमें जन्म लेने वाले व्यक्ति को शनि के कुप्रभाव कासामना करना पड़ता है। ज्योतिर्विद बताते हैं कि साढ़े साती का वास्तविकप्रभाव जानने के लिए चन्द्र राशि के अनुसार शनि की स्थिति ज्ञात करने केसाथ लग्न कुण्डली में चन्द्र की स्थिति का आंकलन भी जरूरी होता है।शनिअगर लग्न कुण्डली व चन्द्र कुण्डली दोनों में शुभ कारक है तो आपके लिएकिसी भी तरह शनि कष्टकारी नहीं होता है (। कुण्डली में अगर स्थिति इसके विपरीत है तो आपको साढ़े साती केदौरान काफी परेशानी और एक के बाद एक कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। अगरचन्द्र राशि आर लग्न कुण्डली उपरोक्त दोनों प्रकार से मेल नहीं खाते होंअर्थात एक में शुभ हों और दूसरे में अशुभ तो आपको साढ़ेसाती के दौरान मिलाजुला प्रभाव मिलता है अर्थात आपको खट्टा मीठा अनुभव होता है।निष्कर्ष के तौर पर देखें तो साढ़े साती भयकारक नहीं है शनि चालीसा (में एक स्थान पर जिक्र आया है "गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं । हय ते सुखसम्पत्ति उपजावैं।।गर्दभ हानि करै बहु काजा । गर्दभ सिद्घ कर राजसमाजा ।। श्लोक के अर्थ पर ध्यान दे तो एक ओर जब शनि देव हाथी पर चढ़ करव्यक्ति के जीवन प्रवेश करते हैं तो उसे धन लक्ष्मी की प्राप्ति होती तोदूसरी ओर जब गधे पर आते हैं तो अपमान और कष्ट उठाना होता है। इस श्लोक सेआशय यह निकलता है कि शनि हर स्थिति में हानिकारक नहीं होते अत: शनि से भयखाने की जरूरत नहीं है। अगर आपकी कुण्डली में शनि की साढ़े साती चढ़ रहीहै तो बिल्कुल नहीं घबराएं और स्थिति का सही मूल्यांकन  करें।

Tuesday, December 6, 2011

मासिक राशिफल / Monthly Horoscope/ दिसम्बर / December - 2011

मेष –Aries (चु चे चो ला ली लू ले लो अ )
मेष राशि का स्वामी मंगल इस मास पंचम भाव में अपनी मित्र राशि सिंह में विद्ध्य्मान है जो जातक विद्द्या ग्रहण कर रहें हैं उन्हें इस मास में भरपूर उर्जा का प्रवाह मिलेगा और विद्द्या की दृष्टि से यह मास उनके लिए शुभ है परन्तु मंगल की दृष्टि द्वादश भाव पर होने के कारण चोट लगने के सम्भावना है शनि अपनी उच्च राशि तुला में सप्तम भाव में बैठा है और शनि पर गुरु की पूर्ण दृष्टि होने के कारण मित्रों से सहयोग की प्राप्ति, परन्तु धन लाभ थोडा रहेगा , लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ और हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें
वृष –Taurus ( इ उ ए ओ व् वि वृ वे वो )
आपकी राशि का स्वामी शुक्र अष्टम भाव में धनु राशि में बैठा है इसलिए अग्नि से बच कर रहें, लग्नेश की दृष्टि धन भाव पर होने के कारण धन का आगमन बना रहेगा और घर में मांगलिक कार्यों में खर्च होगा, जमीन या प्लाट या मकान बनने के योग बन रहें हैं , शत्रु स्वयं ही नष्ट हो जायेंगे, जो जातक विवाहित हैं अपनी पत्नी का का ख्याल रखें, अस्वस्थ हो सकती हैं , व्यापार में इस मास थोड़ी परेशानी हो सकती है , खर्चों पर कंट्रोल करें,
मिथुन – Gemini ( क कि कु घ ड छ के को ह )
मिथुन राशि का स्वामी बुध षष्ट भाव में वक्री हो कर वृश्चिक राशि में है और राहू और सूर्य के साथ युति कर रहा है इसलिए खान –पान का विशेष ध्यान रखें, आपको एसिडिटी की अधिकता हो सकती है पत्नी का विशेष ध्यान रखें , विद्यार्थी अपनी पढाई की और विशेष  ध्यान दें क्योंकि उनका मन इस मास पढाई की और नहीं लगेगा, मिथुन राशि के जातकों को भाइयों के और से इस मास विशेष सहयोग प्राप्त होगा, आय के साधन बने रहेंगे परन्तु साथ साथ खर्चों में भी वृद्धि होगी इसलिए खर्चों पर विशेष ध्यान दें , श्री सुंदर कांड का पाठ करना विशेष रूप से शुभ रहेगा या फिर आप हनुमान चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं
कर्क – Cancer ( हि हू हे हो डा डी ड दे डो )
कर्क जातकों के लिए इस मास उन्नति और प्रगति के नए अवसर प्राप्त होंगे, भूमि सम्बन्धी कार्यों में विशेष रूप से सफलता के योग हैं जो जातक नोकरी की तलाश कर रहें इस मास उनकी नौकरी लगने की पूरी सम्भावना है विद्यार्थी थोडा सा अपनी पढाई की और ध्यान दे क्योंकि आपका मन विशेष रूप इस मास चंचल रहेगा और भ्रमित रहेगा जो आपको विद्या ग्रहण करने में व्यवधान उत्पन्न करेगा, शनि की ढईया आपकी राशि चल रही है परन्तु गुरु की पूर्ण दृष्टि होने के कारण और अपनी उच्च राशि में होने के कारण इस मास आपको थोड़ी सी स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी हो सकती है आपको श्री सुंदर कांड का पाठ या शनि के मन्त्र के जप करने चाहियें
सिंह – Leo ( म मि मु में मो टा टी टू टे )
इस राशि के जातकों के मास में काफी संघर्ष करने के पश्चात कार्यों में सफलता प्राप्त होगी, आप अपने पिता से वाद – विवाद से बचें, इस मास आपको क्रोध ज्यादा आएगा जो आपके लिए परेशानी का कारण बन सकता है इस राशि के जातकों को अपनी पत्नी का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए क्योंकि उनके अस्वस्थ होने प्रबल सम्भावना है विद्यार्थी के लिए इस मास विशेष रूप से शुभ रहेगा आपको श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष लाभ देगा
कन्या – Virgo ( टो पा पी पू ष ण ठ पे पो )
इस मास में कन्या राशि के जातकों के लिए पछले दिनों किये गए प्रयास सफल होंगे, घर में धार्मिक कार्यों पर खर्च होगा जो जातक व्यापार में हैं वे इस मास निराश होंगे क्योंकि व्यापारिक स्थिति उनकी अपेक्षाओं  के अनुरूप नहीं होगी नौकरी पेशा वालों को को अफसरों से व्यर्थ के विवाद से बचना चाहिए, कन्या राशि के जातको को वाहन चलते समय इस मास विशेष सावधान रहना चाहिए दुर्घटना हो सकती है
तुला –  Libra ( रा री रु रे रो ता ति तु ते )
इस मास तुला राशि के जातकों के राशि का स्वामी शुक्र धनु राशि में तृतीय भाव में बैठा है और नवम भाव को अपनी पूर्ण दृष्टि से देखता है लग्न में शनि उच्च का हो कर तृतीय,सप्तम और दशम बहव पर पूर्ण दृष्टि डाल रहा है गुरु सप्तम भाव में बैठ कर एकादश भाव लग्न और तृतीय भाव पर पूर्ण दृष्टि डाल रहा है जिसके कारण इस मास के शुरू में आय कम और खर्च ज्यादा होगा व्यर्थ की भाग दौड़ ज्यादा होगी सूर्य का दूसरे होना  में होना धन का नुकसान करेगा परन्तु मास के अंत में आपको सफलता मिलने लगेंगी आपको श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करना शुभ रहेगा
वृश्चिक – Scorpio ( तो न नी नु ने नो या यी यु)
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए इस मास बिगड़े हुए कार्य बनेगें जो व्यक्ति किसी भी बीमारी से ग्रस्त हैं उनके ठीक होने के आसार बन रहें हैं उनके स्वास्थ्य में सुधार होगा, इस रहसी के जातकों में नई उर्जा का संचार होगा जो जातक व्यापर करने की सोच रहें है उनके लिए यह उपयुक्त अवसर है विद्यार्थियों के लिए इस मास उलझनें आएँगी इसलिए पढाई के प्रति असावधानी न बरतें पिछले दिनों में किये गए कार्य में इस मास सफलता मिलने के पूर्ण रूप अवसर हैं
धनु– Sagittarius ( ये यो भा भी भू ध फ ढ भे )
इस मास गुरु की दृष्टि नवम भाव , एकादश भाव और लग्न पर होने के कारण धर्म तथा शुभ कार्यों पर व्यय होगा , इस मास आपके मान –सम्मान में वृद्धि होगी शुभ कार्यों में ध्यान लगेगा आर्थिक रूप से प्रगति होगी सीख साधनों में वृद्धि होगी विदेश जाने का योग निर्मित हो रहें अचानक विदेश जा सकते हैं उछाधिकारियों से मेल – जोल बढ़ेगा जो जातक विद्द्या ग्रहण कर रहें उनके लिए इस मास में अच्छे परिणाम प्राप्त होंगें
मकर–Capricon ( भो ज जी खी खू खे खो ग गी)
मकर राशि के जातकों के लिए यह मास उनके लिए शुभ समाचार लेकर आयेगा इस राशि के जातक यदि भूमि सम्बन्धी कार्य या क्रय और विक्रय में हैं तो इस मास उन्हें खूब मुनाफा होगा शनि अपनी उच्च राशि में अपनी ही भाव में बैठा है जो इस मास हर प्रकार से मकर राशि के जातकों लिए शुभ है इस राशि के जातकों के लिए व्यापार में उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे
कुम्भ – Aquarius ( गु गे गो स सी सु से सो द)
इस मास कुभं राशि के जातकों के लिए लग्न का स्वामी मान – सम्मान ले कर आयेगा , जो जातक व्यापार के क्षेत्र में हैं उन्हें कुछ कठिनाइयों के बाद सफलता मिलेगी , आप विदेश जाने की योजना भी बना सकते हैं नए मित्रों से मुलाकात होगी जिनसे आप को भविष्य में लाभ होगा , इस राशि के जातक थोडा सा अपनी सेहत का ख्याल रखें उन्हें एसिडिटी या पेट में खराबी हो सकती है हनुमान चालीसा का पाठ आपके लिए शुभ रहेगा
मीन – Pisces ( दि दु थ झ दे दो चा चि )
इस राशि के जातकों के लिए इस मास अकस्मात धन प्राप्ति योग बन रहें हैं आपको मानसिक तनाव हो सकता है इसलिए वाद –विवाद से बचें श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करना आपके लिए शुभ रहेगा