Sunday, November 18, 2012

श्रीऋण-हरण-कर्तृ-गणपति-स्तोत्र-मन्त्र


श्रीऋण-हरण-कर्तृ-गणपति-स्तोत्र-मन्त्र


श्री ऋण-हरण-कर्तृ-गणपति-स्तोत्र-मन्त्र

ध्यान
ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम्।
ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम्।।

।।मूल-पाठ।।
सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजितः फल-सिद्धये।
सदैव पार्वती-पुत्रः ऋण-नाशं करोतु मे।।१
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