Wednesday, August 10, 2011

LOVE MARRIAGE

लव मैरिज और उसके योग
सभी मनुष्यों  की जन्म कुंडली में बारह भाव, नौ ग्रह और बारह राशियाँ होती हैं। ये सभी ग्रह,राशियाँ एवम भाव, जातक के पूर्ण जीवन में अपना प्रभाव डालते हैं।जातक के जीवन का हर पल इनके द्वारा प्रभावित  होता है।मनुष्य द्वारा बनाये सभी रिश्ते-नाते इन्ही नौ ग्रहों द्वारा संचालित होते हैं।मनुष्य जन्म से ही अनेकों रिश्तों से बंधा होता है परन्तु कुछ रिश्ते वह स्वयं ही बनाने का प्रयत्न करता है जैसे भावी वर-वधु आदि।प्राचीन काल से ही भावी वर - वधु की कुंडली के मिलान की प्रथा भारतवर्ष में चिरकाल से ही प्रचलित है।परन्तु आज के आधुनिक समाज में युवक और युवतियां अपनी ही समझ से विवाह करने में विश्वाश करने लगे हैं और इसे प्रेम-विवाह की संज्ञा देते है।परन्तु क्या सभी प्रेम-विवाह सफल होते हैं ? इसलिए यदि जन्मकुंडली में प्रेम-विवाह के योग घटित ना हों तो ऐसे जातकों को प्रेम-विवाह असफल होते हैं। अत: प्रेम विवाह करने से पहले इन योगों को अपनी जन्म कुंडली में देख लें की जो विवाह आप करने जा रहें हैं कंही वह असफल विवाह सिद्ध ना हो और आपके जीवन को नर्क-तुल्य ना बना दे
१. यदि आपकी जन्म - कुंडली में पंचमेश और सप्तमेश का राशी परिवर्तन हो तो जातक का प्रेम-विवाह होता है ।
२. यदि द्वादश भाव का स्वामी पंचम भाव में बैठ जाये तो ऐसे जातक का दूसरा विवाह प्रेम-विवाह होता है।
३. यदि पंचम भाव का स्वामी द्वादश भाव में बैठ जाये  तो भी ऐसे जातक का दूसरा विवाह प्रेम-विवाह होता है ।
४. यदि द्वादश भाव और पंचम भाव के स्वामी का राशी परिवर्तन हो तो भी ऐसे जातक का प्रेम-विवाह होता है।
५. यदि जन्म कुंडली में पंचमेश सप्तम भाव में हो तो ऐसे जातक का प्रेम विवाह निश्चित होता है।
६. यदि सप्तम भाव का स्वामी पंचम भाव में हो तो भी जातक का प्रेम विवाह होता है।
७. यदि पंचमेश और सप्तमेश की युति किसी भी भाव में हो तो ऐसे जातक का प्रेम विवाह होता है।
८. यदि द्वादश भाव के स्वामी की युति सप्तमेश के साथ हो तो ऐसे जातक का दूसरा विवाह प्रेम-विवाह होता है।
९ पंचमेश,सप्तमेश और द्वाद्देश इन तीनो में से किसी भी दो की दृष्टि,युति,राशी परिवर्तन या स्वग्रही होने पर जातक के प्रेम विवाह की सम्भावना बढाता है।
विवाह को हिन्दू संस्कृति में एक पवित्र बंधन माना है अत: विवाह चाहे माता-पिता की इच्छा और धार्मिक संस्कारों और मर्यादाओं के अनुरूप हो या फिर प्रेम-विवाह कुंडली का मिलान अवश्य करा लेना चाहिए ताकि विवाह के पश्चात पति और पत्नी का बंधन अटूट रहे।
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Thanks
Parmod Pandit

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