Thursday, October 27, 2011

भाई की आयुष्य की कामना का पर्व – भैया दूज ( Bhai ki aayu ki kamna ka prv – Bhaiya Dooj)

भाई की आयुष्य की कामना का पर्व – भैया दूज
कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीय या दूज को यमराज का पूजन किया जाता है अत: इसे “यम द्वितीया” कहते हैं इस पर्व कस प्रमुख लक्ष्य भाई और बहन के पावन सम्बन्ध तथा प्रेम भाव की स्थापना करना है इस दिन बहने बेरी पूजन करती हैं और भाइयों को तिलक लगाती हैं और यम से अपने भाइयों की दीर्घ आयु और स्वास्थ्य की कामना करती हैं इसी दिन व्यापारी मसिपत्रादि का पूजन भी करतें हैं अत: इसे कलम दान पूजा भी कहतें हैं
भाई दूज पर क्या करें – प्रातकाल ५ बजे उठकर अपने दैनिक कर्तव्यों से मुक्त होकर शरीर पर तेल मॉल कर स्नान करें इस दिन भाई तेल मलकर गंगा-यमुना में स्नान करें ( नहीं तो बहन के घर स्नान करें)
बहन भाई का निम्न मन्त्र से अभिनंदन करें –
भ्रातस्तवानुजाताहं भुंक्ष्व् भक्तमिम शुभं
प्रीतये यमराजस्य यमुनाया विशेषतः
इस दिन भाई को अपनी बहन के घर जाकर भोजन करना चाहिए, भाई को शुभ आसन पर बैठाकर , उतम भजन चावल से युक्त अपनी सामर्थ्य  के अनुसार भजन कराएं, भोजन के पश्चात भाई को तिलक लगाकर उसके आयुष्य की कामना करें भाई अपनी बहन को सामर्थ्य के अनुसार बहन को वस्त्र, द्रव्य आदि दे और उसके सौभाग्य की कामना करे भीं के पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करे
इस दिन यमराज तथा यमुनाजी का पूजन का भी विधान है भाई और बहन को यमुना नदी में स्नान करना चहिये
पूजन के महत्वपूर्ण मंत्र  –
धर्मराज नमस्तुभ्यं नमस्ते यमुना अग्रज पाहि मां किङ्क्रै सार्ध् सूर्यपुत्र नमोस्तुते
यमराज के अर्घ्य के लिये -
एह्योहि मार्तण्ड्ज पाशहस्त यमान्तकालोकधरामेश
भ्रात्द्वितीयाकृतदेवपूजां गृहान चाअर्घ्य भगवन्ननमोअस्तुते
यमुना पूजन  के लिये
यमस्वस्र्न्मस्तेअसु यमुने लोक्पुजिते
वरद भव मे नित्यं   सूर्य पुत्री नमोस्तुते
चित्र गुप्त की प्रार्थना के लिये
मासिभाजनस्युक्त्म ध्यायेनं च महाबलं
लेखनी पडीडकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्य्ह्म
भैया दूज के दिन चित्रगुप्त की पूजा के साथ साथ लेखनी,दवात तथा पुस्तकों की भी पूजा जाती है यमराज के आलेखक चित्रगुप्त की पूजा करते समय यह कहा जाता है लेखनी पडीडकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्य्ह्म
दूज का महत्व – भगवन सूर्य नारायण की पुत्री का नाम यमुना है यमुना यमराज से बहुत स्नेह करती है लेकिन व्यस्तता के कारण वह उनके घर नहीं जा पाते थे एक दिन यमुना जी उन्हें भोजन का निमत्रण दिया और उन्हें वचन बद्ध कर लिया जब यमराज यमुन जी के यहाँ पहुचे तो बहन ने भाई का अभिन्दन किया और भोजन कराया और वर मांग लिया कि जो भाई अपनी बहन के घर इस दिन भजन करेगा और बहन उसका आदर सत्कार करेगी और टीका माथे पर लगायेगी उसे तुम्हारा भय नही होगा तब से ऐसे मान्यता बन गयी है और भाई अपनी बहन के घर जाते हैं

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