Sunday, October 16, 2011

Ravivar ke vrt ki Vidhi ( रविवार के व्रत की विधि)


रविवार के व्रत की विधि
सर्व मनोकामना की पूर्ति विशेषकर शत्रु पर विजय, पुत्र की कामना, नेत्र रोग , कुष्ट रोग , चर्म रोग के निवारण हेतु तथा आयु में वृद्धि तथा सोभाग्य में वृद्धि के लिए भगवान सूर्य नारायण का व्रत रविवार को किया जाता है इस व्रत को सूर्य षष्टी, रथ सप्तमी अथवा शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से प्रारम्भ करके प्र्तेयेक रविवार कम से कम बारह अथवा एक साल तक व्रत रखा जाता है व्रत के दिन सुबह स्नान आदि से निवर्त हो कर सूर्य भगवान के बिज मन्त्र “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रों स: सूर्याय नम:” मंत्र का कम से कम तिन माला का जाप करें और सूर्य भगवान का ध्यान करें आदित्याय विद्महे भास्कराय धीमहि तन्नो भानु: प्रचोदयात अथवा गायत्री मंत्र की दो माला का जाप करें उसके पश्चात तांबे के बर्तन में शुद्ध जल उसमे गंगा जल डाल कर के गंगाक्षत, लाल पुष्प, या लाल चन्दन, एवं कुशा डालकर सूर्यदेव को इस मंत्र के द्वारा अर्घ्य देकर प्रदक्षिणा करें - एहि सूर्य सहस्त्रशों तेजो राशे जगत्पते । अनुकम्पय माँ गृहाण अर्घ्य दिवाकर स्वयम भी लाल चन्दन का तिलक या केसर से तिलक लगाएं, उस दिन नमक –तेल या तामसिक भोजन से बचाव करें उद्यापन के दिन रविवार को सूर्य के बिज मन्त्र के साथ तथा सूर्य गायत्री मंत्र द्वारा हवन आदि के पश्चात ब्राह्मण दम्पति को भजन करवाने के पश्चात गेहूं, गुड , तांबे का बर्तन, नारियल, लाल वस्त्र, मिष्ठान आदि का दक्षिण सहित दान करें. सूर्य शांति हेतु माणिक्य रत्न सुवर्ण की अंगूठी में धारण करना तथा लाल वस्त्र का दान करना शुभ रहता है  

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