श्री शिवपञ्चाक्षरस्तोत्रं महान आचार्य ,महान योगी श्री मछेन्द्र नाथ
द्वारा रचित है इस स्तोत्र की महिमा के बारे में महान योगी और महान आचार्य
ही कुछ कह पाने की समार्थ्य रख सकते हैं मेरे जैसा तुच्छ बुद्धि का प्राणी
इस पर टिप्पणी कर के मात्र अपनी तुच्छ बुद्धि का ही प्रमाण देगा हिंदू
/वैदिक संस्कृति में स्तोत्र आदि की भाषा अति क्लीष्ट है और साधारणतया समझ
नहीं आती इसलिए मैंने उन बड़े -बड़े शब्दों को विच्छेद करने का मात्र प्रयास
किया है कोई त्रुटि रह जाये तो आप विद्धवान पुरुष मुझे क्षमा करने का
प्रयास करेंगे मेरे इस प्रयास मात्र से वे साधारण जन जो संस्कृत भाषा को
समझ नही पाते थे उनका मार्ग कुछ सरल हो जाएगा और वे अपनी प्राचीन संस्कृति
के बारे में जरुर जान पाएँगे और मुझे इस बारे में ई-मेल के माध्यम सूचित
करने का प्रयास करेंगे कि मैं अपने इस प्रयास में कितना सफल हुआ हूँ आगे
स्तोत्र है
श्री शिवपञ्चाक्षरस्तोत्रं
श्री शिवपञ्चाक्षरस्तोत्रं
श्री शिवपञ्चाक्षरस्तोत्रं
नागेन्द्र हाराय त्रिलोच नाय भस्माङ्ग रागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै 'न ' काराय नमः शिवाय ॥
मन्दाकिनी सलिल चन्दन चर्चिताय नन्दीश्वर प्रमथ्नाथ्महेश्वराय।
मन्दार पुष्प बहु पुष्प सु पुजिताय तस्मै 'म ' काराय नमः शिवाय ॥
शिवाय गौरीवदना ब्ज्वृन्द- सूर्याय दक्षा ध्वर नाशकाय।
श्री नीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै 'शि' काराय नमः शिवाय॥
वसिष्ठ कुम्भो भ्द्व गोतमार्य मुनीन्द्र देव अर्चित शेखराय ।
चन्द्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै 'व' काराय नमः शिवाय ॥
यक्ष स्वरुपाय जटा धराय पिनाक हस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै 'य' काराय नमः शिवाय ॥
पञ्चा क्षर मिदं पुण्यं यः पठे इच्छव सन्निधो ।
शिव लोकम् वापोनोति शिवेन सहः मोदते ॥
इति श्री मच्छ्न्कराचार्यविरचितं शिव पञ्चाक्षर स्तोत्रं सम्पूर्णं
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