Sunday, July 15, 2012

गायत्री मंत्र में 24 अक्षरों से सम्बन्धित शरीरस्थ 24 ग्रंथियाँ और उनकी शक्तियाँ / The Power of 24 letters in Gayatri Matara in relation to 24 Glands of Human Body


पिण्ड को ब्रह्माण्ड की छोटी प्रतिकृति माना गया है । वृक्ष की सारी सत्ता छोटी से बीज में भरी रहती है । सौर मण्डल की पूरी प्रक्रिया छोटे से परमाणु में ठीक उसी तरह काम करती देखी जा सकती है । मनुष्य की शारीरिक और मानसिक संरचना का छोटा रूप शुक्राणु में विद्यमान रहता है ।
यह 'महतोमहियान् का अणोरणीयान्' में दर्शन है । छोटी-सी 'माइक्रो' फिल्म पर सुविस्तृत ग्रंथों का चित्र उतर आता है । जीव में ब्रह्म की सारी विभूतियाँ और शक्तियाँ विद्यमान है । ब्रह्म का विस्तार यह ब्रह्माण्ड है । जीव का विस्तार शरीर में है । मानवी-काया यों हाड़-मांस की बनी दीखती है और मलमूत्र की गठरी प्रतीत होती है, पर उसकी मूल सत्ता, जो गंभीर विवेचन करने पर प्रतीत होती है, वह है, जिससे इस छोटे से कलेवर में वह सब विद्यमान मिलता है, जो विराट् विश्व में दृष्टिगोचर होता है ।
Please Log In www.astroswami.in for more information and knowledge

No comments:

Post a Comment