कल्पांत के पूर्व एक बार ब्रह्मा जी की असावधानी के कारण एक बहुत बड़े दैत्य ने वेदों को चुरा लिया था। उस दैत्य का नाम हयग्रीव था। वेदों को चुरा लिए जाने के कारण ज्ञान लुप्त हो गया। चारों ओर अज्ञानता का अंधकार फैल गया और पाप तथा अधर्म का बोलबाला हो गया। तब भगवान ने धर्म की रक्षा के लिए मत्स्य धारण करके हयग्रीव का वध किया और वेदों की रक्षा की। भगवान ने मत्स्य का रूप किस प्रकार धारण किया। इसकी विस्मयकारिणी कथा इस प्रकार है। We moved to www.astroswami.in
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