व्रत की विधि -सोलह सोमवार के उपवास शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से शुरू किये जाते है. यह व्रत सोम यानि चंद्र या शिवजी के लिये रखा जाता है। सोलह सोमवार के दिन भक्तिपूर्वक व्रत करें.
अधा सेर गेहूं का आटा के तीन भाग बनाकर घी, गुड़, दीप, नैवेद्य, पूंगीफ़ल, बेलपत्र, जनेउ का जोड़ा, चंदन, अक्षत, पुष्प, आदि से प्रदोष काल में शंकर जी का पूजन करें.
एक भाग शिवजी को अर्पण करें.
दो भाग को प्रसाद स्वरूप बांटें, और स्वयं भी ग्रहण करें.
सत्रहवें सोमवार के दिन पाव भर गेहूं के आटे की बाटी बनाकर. घी और गुड़ बनाकर चूरमा बनायें, भोग लगाकर उपस्थित लोगों में प्रसाद बांटें.
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अधा सेर गेहूं का आटा के तीन भाग बनाकर घी, गुड़, दीप, नैवेद्य, पूंगीफ़ल, बेलपत्र, जनेउ का जोड़ा, चंदन, अक्षत, पुष्प, आदि से प्रदोष काल में शंकर जी का पूजन करें.
एक भाग शिवजी को अर्पण करें.
दो भाग को प्रसाद स्वरूप बांटें, और स्वयं भी ग्रहण करें.
सत्रहवें सोमवार के दिन पाव भर गेहूं के आटे की बाटी बनाकर. घी और गुड़ बनाकर चूरमा बनायें, भोग लगाकर उपस्थित लोगों में प्रसाद बांटें.
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